मूर्ख मित्र और समझदार शत्रु: बंदर और मगरमच्छ की कहानी

मूर्ख मित्र और समझदार शत्रु: बंदर और मगरमच्छ की कहानी

किसी जंगल में एक विशाल नदी के किनारे एक जामुन का पेड़ था। उस पेड़ पर एक चतुर बंदर रहता था, जिसका नाम था चिंटू। चिंटू बड़ा शरारती लेकिन समझदार था। वह दिनभर पेड़ पर उछल-कूद करता और जामुन के मीठे-मीठे फल खाकर अपना पेट भरता। 

Bandar aur magarmachh ki kahani


 नदी में एक मगरमच्छ रहता था, जिसका नाम था मगन। मगन अक्सर नदी के किनारे आराम करने आता और चिंटू को देखता। एक दिन मगन ने चिंटू से बात शुरू की।

"अरे बंदर भाई, तुम बड़े मजे में रहते हो! ये जामुन कितने रसीले लगते हैं," मगन ने ललचाई नज़रों से कहा।
चिंटू हँसा और बोला, "हाँ मगरमच्छ भाई, ये जामुन सचमुच बहुत स्वादिष्ट हैं। लो, तुम भी चखो!" यह कहकर उसने कुछ जामुन तोड़कर मगन की ओर फेंक दिए।


बंदर पेड़ पर जामुन फेंकते हुए" - चिंटू जामुन के पेड़ पर बैठा है, मगन को जामुन फेंक रहा है, और मगन नीचे मुस्कुराते हुए जामुन पकड़ रहा है।


मगन ने जामुन खाए और उसका मन प्रसन्न हो गया। उसने कहा, "वाह! इतने मीठे फल मैंने पहले कभी नहीं खाए। तुम तो बड़े अच्छे दोस्त हो।" इस तरह दोनों की दोस्ती हो गई। हर दिन चिंटू मगन को जामुन देता, और मगन बड़े चाव से उन्हें खाता। वे दोनों घंटों बातें करते और हँसी-मज़ाक करते।
     एक दिन मगन जामुन लेकर अपने घर लौटा और अपनी पत्नी माया को दिए। माया ने जामुन खाए और बोली, "ये तो बहुत स्वादिष्ट हैं! ये तुम्हें कहाँ से मिले?"
मगन ने गर्व से कहा, "मेरा दोस्त चिंटू, जो जामुन के पेड़ पर रहता है, मुझे रोज़ देता है।"

माया की आँखों में लालच की चमक आ गई। उसने कहा, "जो बंदर इतने मीठे जामुन खाता है, उसका दिल तो और भी मीठा होगा। मुझे उसका दिल खाना है। तुम अपने दोस्त को यहाँ लाओ।" मगन पहले तो हिचकिचाया, लेकिन माया के बार-बार कहने पर वह मान गया।
अगले दिन मगन नदी के किनारे गया और चिंटू से बोला, "दोस्त, तुमने मुझे इतने दिन अपने जामुन खिलाए। आज मेरे घर चलो, मेरी पत्नी तुम्हारे लिए बढ़िया खाना बनाएगी।"
चिंटू को मगन की बात अच्छी लगी, लेकिन उसे थोड़ा शक भी हुआ। उसने कहा, "भाई, मैं तो तैर नहीं सकता। तुम्हारे घर कैसे आऊँगा?"
मगन ने तुरंत कहा, "कोई बात नहीं, मेरी पीठ पर बैठ जाओ, मैं तुम्हें ले चलूँगा।"


मगरमच्छ के पीठ पर बंदर


चिंटू मगन की पीठ पर बैठ गया, और मगन नदी में तैरने लगा। जब वे नदी के बीच में पहुँचे, तो मगन ने हँसते हुए कहा, "दोस्त, सच बताऊँ, मेरी पत्नी को तुम्हारा दिल खाना है। अब तुम बच नहीं सकते।"
चिंटू समझ गया कि उसका दोस्त उसे धोखा दे रहा है। लेकिन वह घबराया नहीं। उसने अपनी चतुराई से काम लिया और हँसते हुए बोला, "अरे मगन भाई, ये बात तो तुमने पहले बतानी चाहिए थी! मेरा दिल तो पेड़ पर ही रह गया। मैं उसे अपने घर में छुपाकर रखता हूँ। चलो, वापस चलते हैं, मैं तुम्हें मेरा दिल दे दूँगा।"
मगन को चिंटू की बात पर भरोसा हो गया। वह मूर्ख था और यह नहीं समझ सका कि दिल शरीर से अलग कैसे हो सकता है। उसने तुरंत नदी का रुख मोड़ा और वापस किनारे की ओर तैरने लगा। जैसे ही वे किनारे पर पहुँचे, चिंटू मगन की पीठ से कूदकर पेड़ पर चढ़ गया और जोर से हँसने लगा।

पंचतंत्र की कहानियां : बंदर और मगरमच्छ की कहानी


"अरे मूर्ख मगन," चिंटू चिल्लाया, "क्या तुझे सचमुच लगा कि मैं अपना दिल पेड़ पर छोड़ आया हूँ? तू मेरा दोस्त बनकर मुझे धोखा देना चाहता था। अब जा, अपनी पत्नी को बता कि तेरा दोस्त अब तुझसे कोई रिश्ता नहीं रखेगा।"
मगन शर्मिंदा होकर नदी में वापस चला गया। उसे अपनी मूर्खता पर पछतावा हुआ, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। चिंटू ने अपनी बुद्धि से न सिर्फ अपनी जान बचाई, बल्कि एक सबक भी सीखा कि दोस्ती में भी सावधानी बरतनी चाहिए।
संदेश: मूर्ख मित्र से समझदार शत्रु बेहतर होता है। हमें हमेशा अपने आसपास के लोगों की नीयत को परखते रहना चाहिए।

टिप्पणियाँ

Emotions
Copy and paste emojis inside comment box