शब्द -shabd

शब्द किसे कहते हैं? या शब्द क्या होता है? Shabd kise kahte hain?
शब्द विचार-shabd vichar
" वर्णों के मेल से निर्मित सार्थक स्वतन्त्र ध्वनि-समूह  'शब्द' कहलाता हैं" । 
प्रत्येक भाषा की भांति हिंदी में भी शब्दों का विस्तृत भंडार है, जो भिन्न-भिन्न अभिव्यक्ति करने में सक्षम हैं। 

  • शब्द वर्णों का समूह होता है। 
  • प्रत्येक शब्द का अर्थ होता है। 
  • इसका वाक्य में प्रयोग किया जा सकता है। 
  • कुछ शब्दों  निश्चित अर्थ होते हैं तो कुछ शब्द अनेकार्थी भी होते हैं। 
  • शब्द का अर्थ संदर्भ के आधार पर किया जाता है; जैसे-
           बस आ रही है।                        बस! अब चुप हो जाओ। 
प्रत्येक भाषा की ध्वनियाँ भिन्न होती हैं। एक भाषा में आई ध्वनिओं का अर्थ दूसरी भाषा में बदल जाता है। जैसे-अंग्रेजी में 'कम' (come) का अर्थ है बुलाना है लेकिन हिंदी में 'कम' अर्थ मात्रा या संख्या का अभाव होना है। वर्तनी बदलते ही शब्द का अर्थ बदल जाता है।  जैसे-
  फ  फूल- पुष्प (हिंदी)             फ़   फ़ूल- मूर्ख (अंग्रेजी)
वर्णों के मेल से ही शब्द बनते हैं; जैसे- 'वि',  'द्या', 'ल', और 'य' शब्दों से मिलकर 'विद्यालय' शब्द निर्माण हुआ। इस प्रकार शब्द एक से अधिक शब्दों का सार्थक समूह है। 
यद्यपि 'विलायाद्य' भी वर्णों का समूह है लेकिन निरर्थक होने के कारण हम इसे शब्द नहीं कह सकते। अतः स्पष्ट है की-
'वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं'

शब्द और पद 
प्रतयेक शब्द का अपना अर्थ होता है। जब कोई शब्द किसी वाक्य में प्रयुक्त होता है तो वह 'पद' बन जाता है; 
जैसे-  शब्द- लड़का, घर, गया।             पद -  लड़का घर गया। 
इस प्रकार से वाक्य का प्रत्येक शब्द पद कहलाता है। 
शब्दों का वर्गीकरण  
शब्दों को निम्नलिखित आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है-
१. स्रोत के आधार पर   २. रचना के आधार पर    ३. व्याकरणिक प्रकार्य के आधार पर    ४. अर्थ के आधार पर 
१. स्रोत के आधार पर :- स्रोत का अर्थ 'उत्पत्ति' से है। संस्कृत भाषा के कुछ शब्द अपना रूप बदलकर हिंदी में आ गए हैं; जैसे- भ्रमर, ग्राम, गौ, कोष्ठ आदि। इस आधार पर हिंदी में पांच प्रकार के शब्द होते हैं। 
   (क) तत्सम शब्द    (ख) तद्भव शब्द    (ग) देशज शब्द      (घ) विदेशी शब्द     (ङ) संकर शब्द 
तत्सम और तद्भव के संबंध में हम अगली पोस्ट में विस्तार से अध्ययन करेंगे। 
(ग) देशज शब्द :- हमारे देश में उत्पन्न अनेक भाषाएँ एवं बोलियां प्रयोग की जाती हैं। देश में बोली जाने वाली बोलियों से कुछ शब्द हिंदी में आ गए हैं। बोलचाल की भाषाओं से हिंदी में आये शब्द 'देशज शब्द' कहलाते हैं। 
जैसे- चमचमाना, मिमियाना, गड़गड़ाहट, टनटन, ठोकर, झाड़ू आदि। 
(घ) विदेशी शब्द :- ऐसे शब्द जो विदेशी या अन्य भाषाओं से हिंदी में यथारूप आये हैं, 'विदेशी शब्द' कहलाते हैं। हिंदी भाषा में अरबी, फ़ारसी, अंग्रेजी, पुर्तगाली, फ्रांसीसी व तुर्की भाषाओँ के ऐसे अनेक शब्द आ गए हैं जो हिंदी में यथारूप प्रयुक्त होने लगे हैं; जैसे-
  • अरबी शब्द - औरत, वकील, अक्ल, इज्जत, ईमान, किस्मत आदि। 
  • फ़ारसी शब्द- आतिशबाजी, आमदनी, गिरफ्तार, जुर्माना, जवान आदि। 
  • अंग्रेजी शब्द - टेलीविजन, कम्प्यूटर, टेलीफ़ोन, इंटरनेट, चैनल, साइकिल, कॉपी, पार्टी, ट्यूब आदि। 
  • पुर्तगाली शब्द - आलू, चाबी, प्याला, काजू, आदि। 
  • फ्रांसीसी शब्द - कूपन, कारतूस, अंग्रेज, काजू आदि। 
  • तुर्की शब्द - कुरता, कुली, कैंची, तोप, बन्दूक, बारूद आदि 
(ङ) संकर शब्द :- वे शब्द जो दो भिन्न स्रोतों से आये शब्दों के मेल से बनते हैं, वे 'शंकर शब्द' कहलाते है। हिंदी में ऐसे अनेक शब्द, जैसे-
           शब्द (भाषा)                     शब्द (भाषा)                         संकर शब्द 
           डाक (फ़ारसी)                    घर (हिंदी)                           डाकघर 
               वर्ष (संस्कृत)                              गाँठ (हिंदी)                                      वर्षगांठ
               रेल (अंग्रेजी)                               गाड़ी (हिंदी)                                     रेलगाड़ी 
               लाठी (हिंदी)                                चार्ज (अंग्रेजी)                                 लाठीचार्ज 
               पान (हिंदी)                                  दान (फ़ारसी)                                 पानदान 
२. रचना  के आधार पर :-  रचना के आधार पर शब्द तीन प्रकार के होते हैं -
         (क) रूढ़ शब्द                                        (ख) यौगिक शब्द                        (ग) योगरूढ़ शब्द 

(क) रूढ़ शब्द :- वे शब्द  किसी सामान्य प्रचलित अर्थ को प्रकट करते हैं तथा जिनके टुकड़े नहीं किये जा सकते हैं , 'रूढ़ शब्द' कहलाते हैं। जैसे - कमल, गिलास, बच्चा, आम आदि। 
(ख) यौगिक शब्द :- दो या दो से अधिक शब्दों के योग (जोड़)  निर्मित शब्द 'यौगिक शब्द' कहलाते हैं; जैसे-
          सु       +   आगत          = स्वागत                                  राज   +     कुमार              = राजकुमार 
          सेना   +    पति             = सेनापति                                अनु   +     शासन              =  अनुशासन 
(ग) योगरूढ़ शब्द :- दो या दो से अधिक शब्दों के योग से निर्मित वे जो किसी विशेष अर्थ का कराते हैं, 'योगरूढ़ शब्द' कहलाते हैं; जैसे- 
          पीताम्बर         =    पीत (पीला)  +  अम्बर (वस्त्र) अर्थात पीले वस्त्र धारण करने वाला। 
'पीताम्बर' शब्द अपने विशेष अर्थ में विष्णु भगवान के लिए प्रयुक्त होता है तथा इसका प्रयोग सामान्य  अर्थ में नहीं होता।  कुछ अन्य उदाहरण निम्नलिखित हैं -
         पंकज            -     पंक  +  ज    (कमल)                          गिरिधर          -    गिर     +     धर     (कृष्ण)
         चक्रपाणि       -     चक्र  +  पाणि    (विष्णु)                     त्रिनेत्र             -     त्रि       +     नेत्र     (शिव)
         श्वेताम्बर      -     श्वेत  +  अम्बर  (सरस्वति)                पंचानन          -     पंच      +    आनन (कार्तिकेय )
         पीताम्बर      -      पीत    +  अम्बर  (कृष्ण)                    दशानन         -      दश       +    आनन   (रावण)   
३. व्याकरणिक प्रकार्य के आधार पर :- व्याकरणिक आधार पर शब्दों को दो भागों में बाँटा जा सकता है -
(क) विकारी शब्द                         (ख) अविकारी शब्द 
(क) विकारी शब्द :- जो शब्द लिंग, वचन तथा काल के प्रभाव से वाक्य में प्रयोग होने पर अपना रूप बदल लेते हैं, उन्हें 'विकारी शब्द' कहते हैं; जैसे- लड़का, लड़कों आदि। विकारी शब्द चार प्रकार के होते हैं। 
                     भेद                                                             उदाहरण 
                (क) संज्ञा                                                          शेर, अनार, पौधा, कमरा 
                (ख) सर्वनाम                                                     मैं, तुम, वह, यह 
                (ग) क्रिया                                                          आ, पढ़ना, लिख, चला 
                (घ) विशेषण                                                      कला, चार, मोटा, नया 
(ख) अविकारी शब्द :- जो शब्द लिंग, वचन, काल आदि से प्रभावित नहीं होते तथा वाक्य में प्रयोग होने पर भी जिनका रूप ज्यों का त्यों रहता है, उन्हें 'अविकारी शब्द' कहते हैं। अविकारी शब्दों को अव्यय  भी कहा जाता है। ये पांच प्रकार के होते हैं-
                   भेद                                                               उदाहरण 
                (क) क्रिया-विशेषण                                            पास, दूर, जल्दी 
                (ख) समुच्चयबोधक                                           क्योंकि, और, तथा  
                (ग) संबंधबोधक                                                 के पास, के दूर, के नीचे 
                (घ) विस्मयादिबोधक                                         शाबाश!, आह!, वाह!
                (ङ) निपात                                                         ही, भी 
४. अर्थ के आधार पर :- शब्द वाक्य की सबसे छोटी इकाई है। सभी शब्दों का एक अर्थ होता है, जिसे 'मुख्यार्थ' कहते हैं। अर्थ के आधार पर शब्दों निम्नलिखित भेद होते हैं -
 (क) पर्यायवाची शब्द             (ख) विलोम शब्द            (ग) समरूपी भिन्नार्थक शब्द           (घ) एकार्थी शब्द    (ङ) अनेकार्थी शब्द                (च) अनेक शब्दों के लिए एक शब्द 

                                                                                                                           ⧭⧭धन्यवाद⧭⧭























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