नीला धूर्त सियार
नीला धूर्त सियार-Neela dhoort siyar
आज हम आपको एक ऐसे धूर्त सियार के बारे में बताएँगे, जो अपनी धूर्तता के कारण अपने सगे संबंधियों को छोड़कर जंगल का राजा बन जाता है तथा असलियत पता चलने पर चीतेे द्वारा मार दिया जाता है।
एक जंगल में एक सियार रहता था । एक दिन वह घूमते-घूमते किसी तरह गाँव में पहुँच गया, उसे देखकर गाँव के कुत्ते भौकने लगेे। कुत्तों के डर के मारे सियार इधर- उधर भागने लगा । भागतेे-भागते वह किसी धोबी के नील की हौज (नाद) में गिर जाता है । हौज से निकलने के बाद वह जंंगल में जाता है । जब वह नदी के किनारे जाता तब वह पानी में अपनी परछाई देेेखता हैै। उसका शरीर अब पूरी तरह नीले रंग का हो चुुुका है । अपनी परछाई देखकर वह बहुत खुश होता है।
अब वह अपने जाति के सितारों के पास जाता है । सारे सियार उसे देखकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं, सियारों के पूछने पर वह कहता है कि वनदेवी ने मुझे इस जंगल का राजा चुना है अतः तुम लोगों को मेरी बात माननी चाहिए । सियारों को ये बात अच्छी नही लगी । इधर नीला सियार अन्य जानवरों से मिलकर अपने विशेष(नीला) रंग के कारण जंगल का राजा बन बैठा । अब हाथी,चीते तथा जंगल के अन्य जानवर भी उसकी बात मानने लगे । नीला सियार इतना धूर्त था कि वह चीते की मदद से अपनी जाति के अन्य सियारों को अपने आप से काफी दूर भगा देता है । अब जंगल के अन्य सियार नीले सियार को सबक सिखाने की तरकीब सोचने लगे । उन सियारों में एक बूढ़े ने कहा आज सायंकाल में सारे सियार इकठ्ठे होकर हुंकार लगाएँगे । सायंकाल में सारे सियार इकठ्ठे होकर हुंकार लगाते हैं, सियारों में एक प्रवृत्ति होती है कि जब वो किसी सियार की हुंकार सुनते हैं तो खुद हुंकार लगाने लगते हैं । अतः जब नीला सियार अन्य सियारों की हुंकार सुनता है तो वह भी बीच सभा में ही हुंकार लगाने लगता है । इस प्रकार उसकी पोल खुल जाता है और चीते द्वारा मार दिया जाता है ।
"इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि हम कितना भी बड़े अथवा धनी हो जाएँ हमे अपने परिवार व मित्रों का साथ नही छोड़ना चाहिए" ।
इस पर एक संस्कृत श्लोक इस प्रकार है-
" यः स्वभावो हि यस्यास्ति स नित्यं दुरतिक्रमः।
श्वा यदि क्रियते राजा किं स नाश्नात्युपाहनम् "।।
अर्थात्- जैसा जिसका स्वभाव होता वो वैसा ही आचरण करता है । यदि कुत्ते को राजा बना दिया जाए तो क्या वह जूता नही खाएगा अर्थात खाएगा।
धन्यवाद ।
अब वह अपने जाति के सितारों के पास जाता है । सारे सियार उसे देखकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं, सियारों के पूछने पर वह कहता है कि वनदेवी ने मुझे इस जंगल का राजा चुना है अतः तुम लोगों को मेरी बात माननी चाहिए । सियारों को ये बात अच्छी नही लगी । इधर नीला सियार अन्य जानवरों से मिलकर अपने विशेष(नीला) रंग के कारण जंगल का राजा बन बैठा । अब हाथी,चीते तथा जंगल के अन्य जानवर भी उसकी बात मानने लगे । नीला सियार इतना धूर्त था कि वह चीते की मदद से अपनी जाति के अन्य सियारों को अपने आप से काफी दूर भगा देता है । अब जंगल के अन्य सियार नीले सियार को सबक सिखाने की तरकीब सोचने लगे । उन सियारों में एक बूढ़े ने कहा आज सायंकाल में सारे सियार इकठ्ठे होकर हुंकार लगाएँगे । सायंकाल में सारे सियार इकठ्ठे होकर हुंकार लगाते हैं, सियारों में एक प्रवृत्ति होती है कि जब वो किसी सियार की हुंकार सुनते हैं तो खुद हुंकार लगाने लगते हैं । अतः जब नीला सियार अन्य सियारों की हुंकार सुनता है तो वह भी बीच सभा में ही हुंकार लगाने लगता है । इस प्रकार उसकी पोल खुल जाता है और चीते द्वारा मार दिया जाता है ।
"इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि हम कितना भी बड़े अथवा धनी हो जाएँ हमे अपने परिवार व मित्रों का साथ नही छोड़ना चाहिए" ।
इस पर एक संस्कृत श्लोक इस प्रकार है-
" यः स्वभावो हि यस्यास्ति स नित्यं दुरतिक्रमः।
श्वा यदि क्रियते राजा किं स नाश्नात्युपाहनम् "।।
अर्थात्- जैसा जिसका स्वभाव होता वो वैसा ही आचरण करता है । यदि कुत्ते को राजा बना दिया जाए तो क्या वह जूता नही खाएगा अर्थात खाएगा।
धन्यवाद ।
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