संज्ञा-sangya

संज्ञा-sangya
वे शब्द जो किसी व्यक्ति, प्राणी, वस्तु, स्थान या भाव का बोध कराते हैं, 'संज्ञा-sangya' कहलाते हैं।
संज्ञा के भेद-sangya ke bhed
हिंदी व्याकरण में परंपरागत रूप से संज्ञा के मुख्यतया तीन भेद होते हैं; लेकिन अंग्रेजी व्याकरण से प्रेरित दो अन्य भेद भी है। इस प्रकार संज्ञा के कुल पाँच भेद हो गये हैं, जो अग्रलिखित हैं -
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा                2. जातिवाचक संज्ञा 3               .भाववाचक संज्ञा              4.समुदायवाचक संज्ञा
5. द्रव्यवाचक संज्ञा
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा :- वे शब्द जिनसे किसी विशेष 'व्यक्ति, प्राणी, वस्तु अथवा स्थान का बोध होता है, 'व्यक्तिवाचक संज्ञा' कहलाते हैं ; जैसे-हिमालय,यमुना,नरेंद्र मोदी, लाल किला,आगरा, ताजमहल,
हिमालय विशेष पर्वत का, यमुना विशेष नदी का, नरेंद्र मोदी विशेष व्यक्ति का तथा लालकिला विशेष किले का नाम,आगरा जगह का नाम तथा ताजमहल विशेष इमारत का नाम है। ये व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ हैं, क्योंकि विशिष्ट वस्तु, विशिष्ट व्यक्ति तथा विशिष्ट स्थान का नाम बताने वाले संज्ञा शब्द 'व्यक्तिवाचक संज्ञा' कहलाते हैं। जैसे-सचिन तेंदुलकर, रामचरितमानस आदि।
2. जातिवाचक संज्ञा :- वे शब्द जो किसी जाति अथवा एकसमान वस्तु का बोध कराते हैं, 'जातिवाचक संज्ञा' कहलाते हैं; जैसे- पहाड, घोड़ा लड़की, गुड़िया पहाड़, घोड़ा, गुड़िया तथा लड़की शब्द किसी विशेष पहाड़, घोड़ा, गुड़िया या लड़की के लिए प्रयोग न होकर क्रमश: अपनी-अपनी संपूर्ण जाति के लिए प्रयोग किए जाते हैं, ये जातिवाचक संज्ञा शब्द हैं। पक्षी, पुस्तक. पेड़, नदी, शंर, अनार, केला आदि शब्द जो अपनी संपूर्ण जाति का बोध कराएँ, उन्हें 'जातिवाचक संज्ञा' कहते हैं।
कुछ अन्य उदाहरण देखिए-
पशु - सभी पशुओं के लिए पर्वत - सभी पर्वतों के लिए
दुकान - सभी दुकानों के लिए आदमी - सभी आदमियों के लिए
3. भाववाचक संज्ञा :- वे शब्द जो किसी भाव गुण या अवस्था का बोध कराते हैं, 'भाववाचक संज्ञा' कहलाते हैं; जैसे- लालिमा, सुदरता लालिमा, सुंदरता, गुण के नाम तथा बुढ़ापा और कमज़ोरी दवा के नाम हैं। ये भाववाचक संज्ञा शब्द हैं। मधुरता, लंबाई, बुढ़ापा, कमज़ोरी गरीबी, राष्ट्रीयता, चतुराई, चंचलता आदि शब्द जो अमूर्त गुण, विशेषता, भाव का बोध कराते हैं, उन्हें 'भाववाचक संज्ञा' कहते हैं।
4 समुदायवाचक संज्ञा :- वे शब्द जो किसी समूह अथवा समुदाय का बोध कराते हैं, 'समुदायवाचक संज्ञा' कहलाते हैं । जैसे-परिवार' तथा 'सभा' शब्द समूह होने का बोध करा रहे हैं। ये समुदायवाचक संज्ञा शब्द हैं। कक्षा, भीड़, सेना, दल, दस्ता, गुच्छा, झुंड, समिति, टोली आदि शब्द भी कुछ लोगों या वस्तुओं के समूह के लिए प्रयोग होने के कारण 'समुदायवाचक संज्ञा' शब्द हैं। समुदायवाचक संज्ञा का प्रयोग एकवचन में किया जाता है;
जैसे - भीड़ शोर मचाने लगी ।              सभा समाप्त हो गई ।                      सारा परिवार भोजन कर रहा है ।
शेर को आता देखकर हिरनों का दल भाग गया ।                 टिड्डी दल गेहूँ के पौधों पर टूट पड़ा।
5. द्रव्यवाचक संज्ञा :- वे शब्द जो किसी ऐसी धातु या पदार्थ के नाम का बोध कराते हैं, जिनसे वस्तुएँ बनायी जा सकती हैं. 'द्रव्यवाचक' या 'पदार्थवाचक संज्ञा' कहलाते हैं;
जैसे - बढ़ई लकड़ी की कुर्सी बना रहा है। अरे! सारा तेल फैल गया।
दूध द्रव्य का तथा लकड़ी पदार्थ का नाम है, ये 'द्रव्यवाचक संज्ञा' शब्द हैं। इसी प्रकार पीतल, चाँदी, सोना, ताँबा.चावल, घी, तेल आदि द्रव्य धातु या पदार्थ के नाम हैं। द्रव्य, धातु या पदार्थ का बोध कराने के कारण ये 'द्रव्यवाचक संज्ञा' है।
व्यक्तिवाचक संज्ञा का जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग :- व्यक्तिवाचक संज्ञा जब किसी विशेष गुणों का प्रकट करती है, तो वह 'जातिवाचक संज्ञा' बन जाती है; जैसे -
आजकल हरिश्चंद्र कहाँ से मिलेंगे।                     (हरिश्चंद्र जैसे सत्य बोलने वाले)
कालिदास भारत के शेक्सपियर हैं।                     (शेक्सपियर के समान महान नाटककार)
जातिवाचक संज्ञाओं का व्यक्तिवाचक संज्ञाओं के रूप में प्रयोग :- जातिवाचक संज्ञा जब किसी जाति का बोध न कराकर किसी एक ही विशेष स्थान, व्यक्ति या वस्तु का बोध कराये, तो वह 'व्यक्तिवाचक संज्ञा' बन जाती है; जैसे-
'पडित जी' हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे।             (पंडित जवाहरलाल नेहरू)
'नेता जी' ने कहा, "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।"     (नेता जी सुभाष चंद्र बोस)
भाववाचक संज्ञाओं का जातिवाचक संज्ञाओं के रूप में प्रयोग :- भाववाचक संज्ञाएँ जब किसी भाव अथवा गुण आदि का बोध न कराकर उन भावों की प्रतिनिधि-सी बन जाती हैं, तो वे जातिवाचक संजाएँ बन जाती हैं; जैसे तुम्हारी मनोकामनाएं पूर्ण हों।                   मेरी शुभकामनाएँ तुम्हारे साथ हैं।
विशेष :-
'जातिवाचक संज्ञा' प्रायः एकवचन और बहुवचन दोनों रूपों में प्रयुक्त होती है; जैसे-लड़का-लड़के, मनुष्य-मनुष्यों, बालक-बालको आदि।
'व्यक्तिवाचक संज्ञा' प्रायः: एकवचन में ही आती हैं: जैसे-भारत, कृतुबमीनार, महात्मा गाँधी, हिमालय गंगा आदि।
'भाववाचक संज्ञा' भी प्रायः एकवचन में आती हैं; जैसे-मित्रता, सत्य, अहिंसा, सच्चाई. बचपन आदि।
भाववाचक संज्ञाओं की रचना
कुछ भाववाचक संज्ञा शब्द मौलिक है; जैसे-घृणा, प्रेम, क्रोध आदि। किंतु अधिकांश भाववचाक संज्ञाएँ ऐसी होती हैं जो जातिवाचक संज्ञाओं , सर्वनाम, विशेषण एवं क्रिया शब्दों तथा क्रिया-विशेषण अव्ययों में प्रत्यय जोड़कर बनायी जाती है
जातिवाचक संज्ञाओं से भाववाचक संज्ञाएं बनाना -
 जातिवावचक भाववाचक जातिवावचक भाववाचक
 मित्र मित्रता संस्कृति संस्कार
 पंडित पंडित्व सज्जन संस्कार
 स्त्री स्त्रीत्व व्यक्ति व्यक्तित्व
 पुरुष पौरुष शिशु शैशव
 मानव मानवता लड़का लड़कपन
 नारी नारीत्व बूढा बुढ़ापा
 युवक यौवन बच्चा बचपन
                                                            
 सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा बनाना -
 सर्वनाम भाववाचक सर्वनाम भाववाचक
 अहम अहंकार सर्व सर्वस्व
 स्व स्वत्व निज निजता-निजत्व
 मम ममता पराया परायापन
 
विशेषण से भाववाचक संज्ञाएँ बनाना - 
 विशेषण भाववाचक विशेषण भाववाचक
 आलसी आलस्य उदार उदारता
 कठिन कठिनता कायर कायरता
 सुन्दर सुंदरता गंभीर गंभीरता
 ठंडा ठंडक वीर वीरता
 मीठा मिठास पापी पाप
 बुरा बुराई हरा हरियाली
 नेक नेकी कुशल कौशल
 कड़वा कड़वाहट चतुर चतुराई

       क्रिया शब्दों से भाववाचक संज्ञाएँ बनाना - 
 क्रिया भाववाचक क्रिया भाववाचक
 फैलना फैलाव छटपटाना छटपटाहट
 धोना धुलाई कमाना कमाई
 सिलना सिलाई मिलाना मिलावट
 हँसना हँसी करना करनी
 बचना बचाव बुनना बुनाई
 चढ़ना चढ़ाई खाना-पीना खान-पान
 उतरना उतराई मरना मरण
 मिलना मिलाप जीना जीवन
 खेलना खेल मारना मार

                                                            ❤❤ धन्यवाद ❤❤

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